Monday, September 26, 2016

देख

ख़्वाबों में मसरूफ़ है तू पर, मेरी ये बेदारी देख

मेरी रातों की स्याही में रंग ए खूं को तारी देख

देख तू मेरी ग़ुरबत को और मेरी मुर्दा आंखों को

मेरी मुर्दा आँखों से तू अब भी आंसू जारी देख

तुझको देने को है मेरे पास बता क्या? कुछ भी नहीं...

तुझसे बातें, तेरी यादें, मेरी दौलत सारी देख

मेरी जान के साथ साथ अब सारे लफ्ज़ फ़ना मेरे

इनको इक इक करके जाते, तू अब बारी बारी देख

एक तेरी तस्वीर ज़हन में, थी अपनी सारी दौलत

आज यहाँ पर खेल खेल में, हमने वो भी हारी देख

गिर्द मेरे हर जा हर दम इक शोर सुनाई देता था

ख़ामोशी भी देख ले अब तू, आकर लाश हमारी देख