Thursday, August 27, 2015

KARBALA ETERNAL

देख माँ, मेरे ही ऊपर अब है इन सब की उम्मीद
आज जाने दे मुझे माँ, आज होने दे शहीद

देख माँ, है काफ़िला हक़ का घिरा दर क़ातिलान
कैसे देखूँ चुप खड़ा हो के ये मैं रह के बईद

देख माँ, वो पूछते हैं "है कोई जो साथ दे"
देख माँ, वो हैं खड़े हक़ के वली पेशे यज़ीद

देख माँ, है फ़ौजे क़ातिल और हक़ का कारवाँ
है नहीं पानी कहीं भी, रेत है बस पेशे दीद

देख माँ, अब डर नहीं, तू मुझको जाने दे वहाँ
आशिकों की है शहादत, आशिकों की है ये ईद

Wednesday, August 26, 2015

शमशान

ज़र्रे ज़र्रे में यहाँ पर सिर्फ़ कब्रिस्तान है
बाबा कहते हैं मेरे कि हर जगह शमशान है
चींटियाँ जातीं हैं हर जा और परिन्दे हर तरफ़
बस बशर को डर है उसका जो जगह सुनसान है
दिल में हिम्मत और ज़बाँ पे नाम उसका बस रहे
हर जगह है बा हिफ़ाज़त, हर सड़क आसान है
ख़ौफ़ है किस बात का जब मौत है अपनी हफ़ीज़
खौफ़ है किस बात का जब हर जगह वीरान है
डर है किस बाबत हमें जब सब है मिट्टी का बना
आज है और कल नहीं ये अपनी जो पहचान है

Thursday, August 20, 2015

अलविदा

हाथ को ऊपर उठा के "या ख़ुदा" कहने का वक़्त
आ गया इस शहर को अब अलविदा कहने का वक़्त

बात बाक़ी कुछ नहीं, सब आपके है रू ब रू
देखिए मेरी तरफ़, है अब सज़ा कहने का वक़्त

आ गया है दौर अब ज़ालिम को करने का सलाम
आ गया है क़ातिलों को नाख़ुदा कहने का वक़्त

शम्मा के आशिक़ हैं सब और आग के हैं दोस्त हम
आ गया है अब शहादत को मज़ा कहने का वक़्त

वक़्त है अब जा चुका कुछ दिल की कहने का हुज़ूर
है "तेरी ख़्वाहिश में ही मेरी रज़ा" कहने का वक़्त

Saturday, August 15, 2015

DEPENDENCE DAY 2015

मुल्क का टूटे हुए इक आईने में अक्स है
मुल्क ये मेरा नहीं है, कातिलों का रक्स है

मुल्क मेरा खो गया उस रोज़ ताइवान में
लापता जब हो गए थे “बोस” आसमान में

मुल्क मेरा रो रहा है आपके मज़ाक पर
मुल्क के हिस्से हुए हैं “भगत सिंह” की ख़ाक पर

लुटी हुई आज़ाद गलियाँ कुछ ठगों का काम था
आज़ाद जो था दर असल “आज़ाद” उसका नाम था

चूड़ियाँ तुमको मुबारक साल के हर एक रोज़
कर लो आजादी की बातें साल में बस एक रोज़