Sunday, December 27, 2015

SWORDS

Elements give up their differences.
They come together and shake hands,
bow down to each other and fuse with them.
Other elements, all special...
Give Iron their allegiance.
And all of them are lost forever...
That is how steel is born.
Steel is then thrown in a furnace;
it almost crosses its melting point.
When it's hot and burning red...
and there's no hope that it would live,
something begins taking shape.
That is one way swords are forged. 

अनासिर भूल के अपनी अदावत,
मिलके आपस में हैं चलते,
इक दूसरे के आगे झुकते और हो जाते हैं एक।
खास हों अनासिर सारे लेकिन
बैयत देते हैं लोहे को।
और खो जाते हैं मिलकर उससे
ऐसे ही होता है फ़ौलाद पैदा।
फ़ौलाद को तब भट्टी है मिलती,
और पिघलने की कगार पर
जब सुर्ख़ जलता है जिस्म उसका...
और उम्मीदें ख़ाक़ हो जातीं हैं बचने की,
तब शक़्ल लेता दिखता है कुछ...
ऐसे तराशी जातीं हैं शमशीरें।

Friday, December 25, 2015

खुश हैं


बस शहीद ही मर के खुश हैं

बाकी सब तो डर के खुश हैं



हाय ज़माना कैसा आया...

कातिल दुनिया भर के खुश हैं



कोई बात जो इनकी सुन ले

शायर मुजरा करके खुश हैं



फौजी सरहद पर हैं मरते

सांप हमारे घर के खुश हैं



नीचे क़त्ले आम सही पर

आक़ा सब ऊपर के खुश हैं



सब के सब ये भूख के मारे

सामने तेरे दर के खुश हैं



तेरी गली में मौत बिछी है

फिर भी यार गुज़र के खुश हैं

Tuesday, December 15, 2015

या हैदर

तू क्या लगाता घात है
मुझपर अली का हाथ है

बुत सभी तेरी तरफ़
अल्लाह मेरे साथ है

मेरे साथ इस्मे मुर्तज़ा
इक ढाल सहरो रात है

अब्बास के परचम तले
महफ़ूज़ ये हयात है

इश्के हैदर है मुझे
जो बात है वो बात है