Monday, July 27, 2015

हमसफ़र

लोग आगे बढ़ गए, अब रहगुज़र का साथ है
रात की है तीरगी, तेग़ ओ तबर का साथ है

साथ है कोई नहीं, और राह भी है गुमशुदा
बारहा होते निहाँ, धुंधले क़मर का साथ है

हमसफ़र कहते हैं किसको, दोस्त किसका नाम है
साया है बस साथ अपने और सफ़र का साथ है

अब कहाँ उसका तसव्वुर भी नहीं है दूर तक
जिसको कहते थे कि ये शामो सहर का साथ है

ठीक है के नाम है बेहद तेरी तलवार का
लेकिन अपना मौत से आठों पहर का साथ है

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