टूटे परों के ढेर में ये एक परवाना बचा
दीवानों के क़त्ल में बस ये दीवाना बचा
आज टूटेंगी सभी, ईमारतें ये झूठ की
छोड़ मेरी फिक्र तू अपना बुतख़ाना बचा
पूरे घर की आग को, अब बुझा सकता है कौन
मयकदे को भूल जा, अपना पैमाना बचा
सब परिन्दे उड़ गए, बाग़ तनहा रह गया
पेड़ भी सब कट गए, और वीराना बचा
अब नहीं कोई दोस्ती, और न कोई इश्क़ है
बात भी बाक़ी नहीं, और न अफ़साना बचा
दीवानों के क़त्ल में बस ये दीवाना बचा
आज टूटेंगी सभी, ईमारतें ये झूठ की
छोड़ मेरी फिक्र तू अपना बुतख़ाना बचा
पूरे घर की आग को, अब बुझा सकता है कौन
मयकदे को भूल जा, अपना पैमाना बचा
सब परिन्दे उड़ गए, बाग़ तनहा रह गया
पेड़ भी सब कट गए, और वीराना बचा
अब नहीं कोई दोस्ती, और न कोई इश्क़ है
बात भी बाक़ी नहीं, और न अफ़साना बचा
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