Thursday, July 2, 2015

ताराज 1

ख़ून आँखों से रवाँ है ख़ाना-ए-ताराज में
ज़ुल्मो दहशत हमपे जारी क़ातिलों के राज में

दिन हमारे मातमी और सुर्ख़ हैं रातें हमारी
दिन हमारे बा-अज़ा हैं, रात भर है अश्क़बारी

ख़ंजरों के साए में भी नाम ले लेकर चले
हम शहीदे पाक़ का पैग़ाम ले लेकर चले

हमने उठाया था हलफ़ बेकसी की लाश पर
रो रहे हैं आज तक अपने वली की लाश पर

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