Sunday, May 10, 2015

ग़ज़ल 3

कब तलक सुनते रहें चीखें तुम्हारे दार में 
मंज़िलें कितनी जुड़ेंगी मौत की मीनार में 

कब तलक होगा गुसल खूं से हमारे जिस्म का 
कब तलक लाशें बिकेंगी गोश्त के बाज़ार में 

कब तलक चलता रहेगा जश्न तेरी जीत का 
कब तलक रोते रहेंगे इस तरफ सब हार में 

कब तलक होगा रवाँ यूँ आपका ये कारवाँ 
कब तलक जाएंगी जानें आपकी रफ़्तार में 

कब तलक सासें हमारी यूँ खरीदी जाएंगी 
कब तलक चर्चा रहेगा आपका अख़बार में 

कब तलक चलता रहेगा मातमे मज़्लूमिअत 
कब तलक गूंजेगी क़ातिल की हंसी दरबार में 

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