Friday, October 30, 2015

बेअमाँ


छोड़ कर मुझको यहाँ
सब हो गए हाफ़िज़ निहाँ
मैं बेअमाँ... मैं बेअमाँ...
उनके गए... मैं बेअमाँ

सब ख़ाक है उनके बिना
अब वो कहाँ और मैं कहाँ
कोई नहीं मेरा पासबाँ
हैं हर तरफ़ खंजर सिना
मैं बेअमाँ... मैं बेअमाँ...
उनके गए... मैं बेअमाँ

है हर तरफ रेग-ए-तपाँ
हैं मौत की परछाइयाँ
है मश्क को छूना मना
अब कौन है मेरा यहां
मैं बेअमाँ... मैं बेअमाँ...
उनके गए... मैं बेअमाँ

नाम उनका, ये ज़बाँ
थे वो ही मेरे दो जहाँ
था उनका चेहरा आईना
राह-ए-मकान-ए-लामकाँ
मैं बेअमाँ... मैं बेअमाँ...
उनके गए... मैं बेअमाँ

हर तरफ़ हैं आँधियाँ
हैं रेत के झोंके रवाँ
और चल रहा हूँ बेनिशाँ
मैं नातवाँ, तश्नादहाँ
मैं बेअमाँ... मैं बेअमाँ...
उनके गए... मैं बेअमाँ

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