Saturday, October 17, 2015

मेरे पिता के नाम

कहाँ हो? कहाँ हो? के हूँ ज़ेरे ख़ंजर...
किया था जो वादा, छू के मेरा सर
वो वादा कहाँ है? के वो सर है तनहा...
वो वादा कहाँ है? के हूँ नज़रे नेज़ा...
के ये सर जो तुमको था सब से प्यारा
जो सर था तुम्हारी नज़र का सितारा
उस सर पे लाखोँ मुसीबत हैं बरपा
उस सर पे तल्वारें खिंचती हैं बेजा
कहाँ हो? कहाँ है तुम्हारा वो वादा
जाने कब हो जाए ये सर  शिकस्ता
ग़ायब हो... जाने कहाँ हो गए गुम...
आ जाओ... लेकिन नहीं आओगे तुम
के देखो... तुम्हारा लहू है ज़मी पर
देखो के कटने को है बस मेरा सर
आता हूँ अभी मुझमें है जान बाक़ी
है तुमसे मिलने का अरमान बाक़ी

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