Thursday, August 27, 2015

KARBALA ETERNAL

देख माँ, मेरे ही ऊपर अब है इन सब की उम्मीद
आज जाने दे मुझे माँ, आज होने दे शहीद

देख माँ, है काफ़िला हक़ का घिरा दर क़ातिलान
कैसे देखूँ चुप खड़ा हो के ये मैं रह के बईद

देख माँ, वो पूछते हैं "है कोई जो साथ दे"
देख माँ, वो हैं खड़े हक़ के वली पेशे यज़ीद

देख माँ, है फ़ौजे क़ातिल और हक़ का कारवाँ
है नहीं पानी कहीं भी, रेत है बस पेशे दीद

देख माँ, अब डर नहीं, तू मुझको जाने दे वहाँ
आशिकों की है शहादत, आशिकों की है ये ईद

No comments:

Post a Comment