अब न कोई है सख़ी, और न कोई है वली
अब न कोई तेग़ है, और न कोई है जरी
अब तो ख़ाली दर्द है, कोई भी शिफ़ा नहीं
अब जो सारे दोस्त हैं, कोई बावफ़ा नहीं
अब जो सारे शेर हैं, वो मिट्टीयों के हैं बने
अब जो सारे मर्द हैं, वो चूड़ीयों से हैं सजे
जाने कब आएगा वो, ये ख़ुल्द तार तार है
जाने कब आएगा वो, जो एक शहसवार है
जाने कब आएगा वो, जो क़ातिलों की हार है
जाने कब आएगा वो, कि जिसका इन्तज़ार है
वरना अब तो रात है, बस दूर तक है तीरगी
अब न कोई जान है, और न कोई ज़िन्दगी
अब यहाँ कोई तरीक़े, और न कोई तौर हैं
हैफ़ अब बस आप हैं और आप जैसे और हैं
अब न कोई तेग़ है, और न कोई है जरी
अब तो ख़ाली दर्द है, कोई भी शिफ़ा नहीं
अब जो सारे दोस्त हैं, कोई बावफ़ा नहीं
अब जो सारे शेर हैं, वो मिट्टीयों के हैं बने
अब जो सारे मर्द हैं, वो चूड़ीयों से हैं सजे
जाने कब आएगा वो, ये ख़ुल्द तार तार है
जाने कब आएगा वो, जो एक शहसवार है
जाने कब आएगा वो, जो क़ातिलों की हार है
जाने कब आएगा वो, कि जिसका इन्तज़ार है
वरना अब तो रात है, बस दूर तक है तीरगी
अब न कोई जान है, और न कोई ज़िन्दगी
अब यहाँ कोई तरीक़े, और न कोई तौर हैं
हैफ़ अब बस आप हैं और आप जैसे और हैं
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