Tuesday, September 22, 2015

WHY SO SERIOUS? BECAUSE ALL IS FIRE! THAT'S WHY...

दिल खून के आंसू रोता है, अशआर आग में जलते हैं
हर बार रौशनी को छू कर हर बार आग में जलते हैं
दिल कहता है के दूर चलो, अब जलता है ये तूर चलो
करके मुहब्बत तुमसे हम बेकार आग में जलते हैं
रखकर थोडा ध्यान बढ़ो, के लेकर तुम सामान बढ़ो
ये गाँव घिरा है शोलों में, घरबार आग में जलते हैं
सच बोल दिया तो सूली है, मुँह खोल दिया तो सूली है
हर ख़बर यहाँ है आगज़नी, अख़बार आग में जलते हैं
जो देखें निगाहें सब वीराँ, हर तरफ़ हैं राहें सब वीराँ
है दूर तलक बस वीरानी, कोहसार आग में जलते हैं

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