ऊँचाईयाँ हैं, इज़्ज़तें हैं, दोस्त, पर, कोई नहीं
इज़्ज़तें भी आती जाती, हमसफ़र कोई नहीं
ज़ख़्म हैं गहरे पुराने, और दिल में हैं सुराख़
हैं तबीबो चाराग़र पर, बाअसर कोई नहीं
हर जगह हैं सर झुकाते, सब को हैं करते हैं सलाम
सारे दर हैं उसकी चौखट, और घर कोई नहीं
उसकी ख़ातिर सबके दर पे हमने है सजदा किया
सर भी है उसकी अमानत, मेरा सर कोई नहीं
किसपे देते जान हो तुम, किसका करते हो तवाफ़
है नहीं कुछ इल्म तुमको, और ख़बर कोई नहीं
इज़्ज़तें भी आती जाती, हमसफ़र कोई नहीं
ज़ख़्म हैं गहरे पुराने, और दिल में हैं सुराख़
हैं तबीबो चाराग़र पर, बाअसर कोई नहीं
हर जगह हैं सर झुकाते, सब को हैं करते हैं सलाम
सारे दर हैं उसकी चौखट, और घर कोई नहीं
उसकी ख़ातिर सबके दर पे हमने है सजदा किया
सर भी है उसकी अमानत, मेरा सर कोई नहीं
किसपे देते जान हो तुम, किसका करते हो तवाफ़
है नहीं कुछ इल्म तुमको, और ख़बर कोई नहीं
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