Wednesday, August 26, 2015

शमशान

ज़र्रे ज़र्रे में यहाँ पर सिर्फ़ कब्रिस्तान है
बाबा कहते हैं मेरे कि हर जगह शमशान है
चींटियाँ जातीं हैं हर जा और परिन्दे हर तरफ़
बस बशर को डर है उसका जो जगह सुनसान है
दिल में हिम्मत और ज़बाँ पे नाम उसका बस रहे
हर जगह है बा हिफ़ाज़त, हर सड़क आसान है
ख़ौफ़ है किस बात का जब मौत है अपनी हफ़ीज़
खौफ़ है किस बात का जब हर जगह वीरान है
डर है किस बाबत हमें जब सब है मिट्टी का बना
आज है और कल नहीं ये अपनी जो पहचान है

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