हम पे ये यलग़ार तुम्हारी
आज पड़ेगी तुमको भारी
नहीं बचेगा कोई लेकिन
जंग रहेगी अपनी जारी
पागलपन हम दीवानों पे
सहरो शाम रहेगा तारी
अाज यहाँ पर जल जाएंगे
परवाने सब बारी बारी
लश्कर तेरा थर्राएगा
गूँजेगी आवाज़ हमारी
ख़ून बहेगा रेत के ऊपर
हवा करेगी बात हमारी
आज पड़ेगी तुमको भारी
नहीं बचेगा कोई लेकिन
जंग रहेगी अपनी जारी
पागलपन हम दीवानों पे
सहरो शाम रहेगा तारी
अाज यहाँ पर जल जाएंगे
परवाने सब बारी बारी
लश्कर तेरा थर्राएगा
गूँजेगी आवाज़ हमारी
ख़ून बहेगा रेत के ऊपर
हवा करेगी बात हमारी
No comments:
Post a Comment