बस शहीद
ही मर के खुश हैं
बाकी सब
तो डर के खुश हैं
हाय
ज़माना कैसा आया...
कातिल
दुनिया भर के खुश हैं
कोई बात
जो इनकी सुन ले
शायर
मुजरा करके खुश हैं
फौजी
सरहद पर हैं मरते
सांप
हमारे घर के खुश हैं
नीचे
क़त्ले आम सही पर
आक़ा सब
ऊपर के खुश हैं
सब के
सब ये भूख के मारे
सामने
तेरे दर के खुश हैं
तेरी
गली में मौत बिछी है
फिर भी यार गुज़र के खुश हैं
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