Tuesday, December 15, 2015

या हैदर

तू क्या लगाता घात है
मुझपर अली का हाथ है

बुत सभी तेरी तरफ़
अल्लाह मेरे साथ है

मेरे साथ इस्मे मुर्तज़ा
इक ढाल सहरो रात है

अब्बास के परचम तले
महफ़ूज़ ये हयात है

इश्के हैदर है मुझे
जो बात है वो बात है

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